हिन्दू धर्म के 90 हजार से भी ज्यादा वर्षों के लिखित इतिहास में लगभग 20 हजार वर्ष पूर्व नए सिरे से वैदिक धर्म की स्थापना हुई और नए सिरे से सभ्यता का विकास हुआ। प्रारंभ में ब्रह्मा और उनके पुत्रों ने धरती पर विज्ञान, धर्म, संस्कृति और सभ्यता का विस्तार किया। इस दौर में शिव और विष्णु सत्ता, धर्म और इतिहास के केंद्र में होते थे। देवता और असुरों का काल अनुमानित 20 हजार ईसा पूर्व से लगभग 7 हजार ईसा पूर्व तक चला। फिर धरती के जल में डूब जाने के बाद ययाति और वैवस्वत मनु के काल और कुल की शुरुआत हुई।
दुनियाभर की प्राचीन सभ्यताओं से हिन्दू धर्म का कनेक्शन था। संपूर्ण धरती पर हिन्दू वैदिक धर्म ने ही लोगों को सभ्य बनाने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में धार्मिक विचारधारा की नए-नए रूप में स्थापना की थी। आज दुनियाभर की धार्मिक संस्कृति और समाज में हिन्दू धर्म की झलक देखी जा सकती है चाहे वह यहूदी, यजीदी, रोमा, पारसी, बौद्ध धर्म हो या ईसाई-इस्लाम धर्म हो।
भारतीय लोगों ने इस दौर में विश्वभर में विशालकाय मंदिर, भवन और नगरों का निर्माण कार्य किया किया था। हिन्दू धर्म ने अपनी जड़ें यूरोप से लेकर एशिया तक फैला रखी थी, जिसके प्रमाण आज भी मिलते हैं। आज हम आपको विश्व की ऐसी ही जगहों के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि यहां कभी हिन्दू धर्म अपने चरम पर हुआ करता था।
सिन्धु-सरस्वती घाटी की हड़प्पा एवं मोहनजोदोड़ो सभ्यता (5000-3500 ईसा पूर्व) : हिमालय से निकलकर सिन्धु नदी अरब के समुद्र में गिर जाती है। प्राचीनकाल में इस नदी के आसपास फैली सभ्यता को ही सिन्धु घाटी की सभ्यता कहते हैं। इस नदी के किनारे के दो स्थानों हड़प्पा और मोहनजोदड़ो (पाकिस्तान) में की गई खुदाई में सबसे प्राचीन और पूरी तरह विकसित नगर और सभ्यता के अवशेष मिले। इसके बाद चन्हूदड़ों, लोथल, रोपड़, कालीबंगा (राजस्थान), सूरकोटदा, आलमगीरपुर (मेरठ), बणावली (हरियाणा), धौलावीरा (गुजरात), अलीमुराद (सिंध प्रांत), कच्छ (गुजरात), रंगपुर (गुजरात), मकरान तट (बलूचिस्तान), गुमला (अफगान-पाक सीमा) आदि जगहों पर खुदाई करके प्राचीनकालीन कई अवशेष इकट्ठे किए गए। अब इसे सैंधव सभ्यता कहा जाता है।
हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो में असंख्य देवियों की मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। ये मूर्तियां मातृदेवी या प्रकृति देवी की हैं। प्राचीनकाल से ही मातृ या प्रकृति की पूजा भारतीय करते रहे हैं और आधुनिक काल में भी कर रहे हैं। यहां हुई खुदाई से पता चला है कि हिन्दू धर्म की प्राचीनकाल में कैसी स्थिति थी।
हड़प्पा से कई ऐसी ही चीजें मिली हैं, जिन्हें हिन्दू धर्म से जोड़ा जा सकता है। पुरोहित की एक मूर्ति, बैल, नंदी, मातृदेवी, बैलगाड़ी और शिवलिंग। 1940 में खुदाई के दौरान पुरातात्विक विभाग के एमएस वत्स को एक शिव लिंग मिला जो लगभग 5000 पुराना है। शिवजी को पशुपतिनाथ भी कहते हैं।
बाली का प्राचीन मंदिर : इंडोनेशिया कभी हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था, लेकिन इस्लामिक उत्थान के बाद यह राष्ट्र आज मुस्लिम राष्ट्र है। शोधकर्ताओं का मानना है कि जहां आज इंडोनेशियन इस्लामिक यूनिवर्सिटी है वहां कभी हिन्दू मंदिर हुआ करता था, जिसमें शिव और गणेश की पूजा की जाती थी। यहां से एक ऐतिहासिक शिवलिंग भी मिला है।
इंडोनेशिया के एक द्वीप है बाली जो हिन्दू बहुल क्षेत्र है। यहां के हिन्दुओं ने अपने धर्म और संस्कृति को नहीं छोड़ा था। बाली में एक इमारत के निर्माण की खुदाई के दौरान मजदूरों को मंदिर के कुछ अंश मिले जिसके बाद यह खबर बाली के ऐतिहासिक संरक्षण विभाग को दी गई जिसने खुदाई करने पर एक विशाल हिन्दू इमारत को पाया, जो कभी हिन्दू धर्म का केंद्र था। यह विशालकाय मंदिर आज बाली द्वीप की पहचान बन गया है।
इंडोनेशिया के द्वीप बाली द्वीप पर हिन्दुओं के कई प्राचीन मंदिर हैं, जहां एक गुफा मंदिर भी है। इस गुफा मंदिर को गोवा गजह गुफा और एलीफेंटा की गुफा कहा जाता है। 19 अक्टूबर 1995 को इसे विश्व धरोहरों में शामिल किया गया। यह गुफा भगवान शंकर को समर्पित है। यहां 3 शिवलिंग बने हैं। देश-विदेश से पर्यटक इसे देखने आते हैं।
शंकर पुत्र सुकेश के तीन पुत्र थे- माली, सुमाली और माल्यवान। माली, सुमाली और माल्यवान नामक तीन दैत्यों द्वारा त्रिकुट सुबेल (सुमेरु) पर्वत पर बसाई गई थी लंकापुरी। माली को मारकर देवों और यक्षों ने कुबेर को लंकापति बना दिया था। रावण की माता कैकसी सुमाली की पुत्री थी। अपने नाना के उकसाने पर रावण ने अपनी सौतेली माता इलविल्ला के पुत्र कुबेर से युद्ध की ठानी थी और लंका को फिर से राक्षसों के अधीन लेने की सोची।
रावण ने सुंबा और बाली द्वीप को जीतकर अपने शासन का विस्तार करते हुए अंगद्वीप, मलय द्वीप, वराह द्वीप, शंख द्वीप, कुश द्वीप, यव द्वीप और आंध्रालय पर विजय प्राप्त की थी। इसके बाद रावण ने लंका को अपना लक्ष्य बनाया। लंका पर कुबेर का राज्य था, परंतु पिता ने लंका के लिए रावण को दिलासा दी तथा कुबेर को कैलाश पर्वत के आसपास के त्रिविष्टप (तिब्बत) क्षेत्र में रहने के लिए कह दिया। इसी तारतम्य में रावण ने कुबेर का पुष्पक विमान भी छीन लिया। *आज के युग अनुसार रावण का राज्य विस्तार, इंडोनेशिया, मलेशिया, बर्मा, दक्षिण भारत के कुछ राज्य और संपूर्ण श्रीलंका पर रावण का राज था।*
वेटिकन शहर का शिवलिंग : कुछ लोग कहते हैं कि वेटिकन तो वाटिका का बिगड़ा रूप है। वैदिक काल में यह स्थान भी हिन्दू धर्म का केंद्र हुआ करता था। यहां पुरातात्विक खुदाई के दौरान शिवलिंग प्राप्त हुआ है जो रोम के ग्रेगोरियन इट्रस्केन संग्रहालय (Gregorian Etruscan Museum) में रखा गया है।
यह भी कहा जाता है कि वेटिकन सिटी का मूल स्वरूप शिवलिंग के समान ही है। इतिहासकार पी.एन.ओक ने अपने शोध में यह दावा किया है कि धर्म चाहे कोई भी हो उसका उद्भव सनातन धर्म यानि की हिन्दू धर्म में से ही हुआ है।
अपने दावो को आधार देने के लिए पी.एन.ओक ने कई उदाहरण भी पेश किए हैं जिनमें से रोम का वेटिकन शहर प्रमुख है। ओक का कहना है कि वेटिकन शब्द की उत्पत्ति हिन्दी के ‘वाटिका’ शब्द से हुई है। इतना ही नहीं उनका कहना है कि ईसाई धर्म यानि ‘क्रिश्चैनिटी’ को भी सनातन धर्म की ‘कृष्ण नीति’ और अब्राहम को ‘ब्रह्मा’ से ही लिया गया है। पी.एन.ओक का कहना है कि इस्लाम और ईसाई, दोनों ही धर्म वैदिक मान्यताओं के विरुपण से जन्में हैं।
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