बुधवार, 4 अगस्त 2021

कलावा

*🧭कलावा*

सनातन धर्म को जीवन जीने की पद्धति कहा गया है। अब हममें से ज्यादातर लोग सनातन धर्म को हिंदू धर्म के नाम से जानते हैं। हिंदू धर्म में जिन मान्यताओं का अनुसरण किया जाता रहा है या जिन्हें जीवन के लिए बेहद उपयोगी माना गया है, उन्हें आस्था के साथ जोड़कर प्रचारित किया गया। इसका कारण यह बताया जात है कि ईश्वर से जुड़ी बातें होने के कारण ज्यादातर लोग इन्हें बड़ी सरलता से जीवन में उतार लेते हैं। इन्हीं में से एक है हाथ में कलावा या मौली बांधना। क्या आपने कभी सोचा है कि हिंदू धर्म में किसी भी देवता की पूजा या अनुष्ठान हो, हाथ में मौली क्यों बांधी जाती है? आइए, जानते हैं…

क्या है रक्षा सूत्र का महत्व

पूजा या अनुष्ठान करते समय मौली का उपयोग मुख्य रूप से तीन प्रकार से किया जाता है। पहला उपयोग होता है, भगवान को कलश स्थापना के समय कलश और नारियल पर बांधने में। दूसरा उपयोग होता है भगवान को वस्त्र के रूप में अर्पित करने में और तीसरा उपयोग होता है पवित्र धागे के तौर पर कलाई में बांधने के लिए।

माना जाता है कि असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधे थे। रक्षाबंधन का प्रतीक माने दाने वाले रक्षा-सूत्र को माता लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में अपने पति की रक्षा के लिए ये बंधन बांधा था।

रक्षा सूत्र यानी मौली का अर्थ

जानकारों के अनुसार 'मौली' का अर्थ होता 'सबसे ऊपर', क्योंकि मौली को कलाई में बांधते हैं इसलिए इसे कलावा भी कहते हैं। वैसे इसका वैदिक नाम उप मणिबंध भी है। कहा जाता है कि शंकर भगवान के सिर पर चन्द्रमा हैं, यही कारण है कि उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है। मौली कच्चे धागे से बनती है, जिसमें मूलत: 3 रंग के धागे (लाल, पीला और हरा)का प्रयोग होता है, लेकिन कभी-कभी ये 5 धागों की भी बनाई जाती है, जिसमें नीले और सफेद रंग के धागों का भी प्रयोग किया जाता है, यनी इसक सीधा मतलब ये बताया जाता है कि 3 यानी कि त्रिदेव के नाम पर और 5 यानी की पंचदेव के नाम पर इस बांधा जाता है। शास्त्रों के अनुसार मौली बांधने से त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु, महेश और तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती की कृपा बरसती है।

कैसे बांधें

पुरुष और अविवाहित युवतियों को इसे दाएं हाथ में बांधना चाहिए, जबकि विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में बांधना चाहिए। इसे बंधवाते समय आपकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और आपका दूसरा हाथ सिर पर रखा होना चाहिए। मौली बांधने के लिए किसा खास स्थान की जरूरत नहीं होती है, इसे कहीं पर भी बांध सकते है, लेकिन इतना ध्यान रहे कि इस सूत्र को केवल 3 बार ही लपेटते हैं। हालांकि अब लोग इसे फैशन के तौर पर भी बांधते है, ऐसे में लोग इसे कई बार लपेटते हैं।

वैज्ञानिक लाभ

हाथ, पैर, कमर और गले में मौली बांधने से आपको स्वास्थ्य लाभ भी होता है, जैसे कि इससे त्रिदोष यानि वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है। इसके बांधने से रक्तचाप, हृदयाघात, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर बीमारियों से बचाव करने में भी लाभ होता है।

अगर आप कभी भी किसी वैद्य या आयुर्वेदिक चिकित्सक के पास अपना उपचार कराने के लिए गए होंगे तो आपको पता होगा कि वह सबसे पहले व्याधिग्रस्त व्यक्ति की नाड़ी चेक करते हैं। अर्थात वे आपकी कलाई की एक नर्व को कुछ सेकंड के लिए पकड़ते हैं और काउंटिंग चेक करते हैं कि क्या आपकी नाड़ी ठीक चल रही है या नहीं। जिस जगह से वैद्य नाड़ी चेक करते हैं, उसी जगह पर कलावा बांधा जाता है। यह कलावा हमारी नाड़ी पर जरूरी दबाव बनाकर रखता है।
🙏 *सीताराम* 🙏

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें