बुधवार, 22 फ़रवरी 2023
नित्य पूजा हवन
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥1
अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया ।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥2
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुरेव परम्ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥3
स्थावरं जङ्गमं व्याप्तं यत्किञ्चित्सचराचरम् ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥4
चिन्मयं व्यापियत्सर्वं त्रैलोक्यं सचराचरम् ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥5
त्सर्वश्रुतिशिरोरत्नविराजित पदाम्बुजः ।
वेदान्ताम्बुजसूर्योयः तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥6
चैतन्यः शाश्वतःशान्तो व्योमातीतो निरञ्जनः ।
बिन्दुनाद कलातीतः तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥7
ज्ञानशक्तिसमारूढः तत्त्वमालाविभूषितः ।
भुक्तिमुक्तिप्रदाता च तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥8
अनेकजन्मसम्प्राप्त कर्मबन्धविदाहिने ।
आत्मज्ञानप्रदानेन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥9
शोषणं भवसिन्धोश्च ज्ञापणं सारसम्पदः ।
गुरोः पादोदकं सम्यक् तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥10
न गुरोरधिकं तत्त्वं न गुरोरधिकं तपः ।
तत्त्वज्ञानात्परं नास्ति तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥11
मन्नाथः श्रीजगन्नाथः मद्गुरुः श्रीजगद्गुरुः ।
मदात्मा सर्वभूतात्मा तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥12
गुरुरादिरनादिश्च गुरुः परमदैवतम् ।
गुरोः परतरं नास्ति तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥13
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देव ॥14
ॐ अग्नि दूतं पुरो दधे हव्य वाहमुप ब्रुवे
देवां आ सादयादिह
इस मंत्र से अग्नि प्रज्वलित करे
अग्नि का ध्यान करे
ॐ चत्वारि श्रृंगा त्रयो अस्य पादा द्वै शीर्षे सप्त हस्तासो अस्य
त्रिधा बद्धो वृषभो रोरवीति महो देवो मर्त्यां आ विवेश।
ॐ मुखं यः सर्व देवानाम हव्यभूक कव्यभूक तथा
पितृणा च नमस्तस्मै विष्णवे पावकात्मने।
ॐ आग्नेय शांडिल्य गोत्र मेषध्वज प्रांगमुख मम सम्मुखो भव।
इस मंत्र से गंध पुष्प अक्षता और नैवेद्य (थोड़ा सा गुड) चढ़ाये
फिर घी से हवं करे
ॐ भूः स्वाहा, इदं अग्नये न मम
ॐ भुवः स्वाहा, इदं वायवे न मम
ॐ स्वः स्वाहा, इदं सूर्याय न मम
ॐ अग्नये स्वाहा, इदं अग्नये न मम
ॐ धन्वन्तरये स्वाहा, इदं धन्वन्तरये न मम
ॐ विश्वेभ्यो देवेभ्यो स्वाहा, इदं विश्वेभ्यो देवेभ्यो न मम
ॐ प्रजापतये स्वाहा, इदं प्रजापतये न मम
ॐ अग्नये स्विष्टकृते स्वाहा, इदं अग्नये स्विष्टकृते न मम
ॐ देवकृत सैनसो वयजमनसी स्वाहा, इदं अग्नये न मम
ॐ मनुष्कृत सैनसो वयजमनसी स्वाहा, इदं अग्नये न मम
ॐ पितृकृत सैनसो वयजमनसी स्वाहा, इदं अग्नये न मम
ॐ आत्मकृत सैनसो वयजमनसी स्वाहा, इदं अग्नये न मम
ॐ एनस एनसो वयजमनसी स्वाहा, इदं अग्नये न मम
ॐ यच्चाहमेनो विद्वांश्चकार यच्चाविद्वांश्चकार सर्व सैनसो वयजमनसी स्वाहा, इदं अग्नये न मम
ॐ परब्रह्मणे परमात्मने नमः, उत्पत्ति स्थिति प्रलय कराय, ब्रह्म हरिहराय, त्रिगुणात्मने, सकल कौतुकानी दर्शय दर्शय, दत्तात्रेयाय नमः मंत्र तंत्र सिद्धिम कुरु कुरु स्वाहा
ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुंगन्धिम पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनं मृत्योंमुक्षियमामृतात स्वाहा
ॐ सिद्धाय स्वाहा
ॐ नमो सिद्धाय सर्व अरिष्ट निवारनाय
सर्व कार्य सिद्ध कराय ॐ सिद्धाय स्वाहा
ॐ सिद्ध गणेशाय स्वाहा
ॐ सिद्ध सरस्वती माताय स्वाहा
ॐ सिद्धेश्वराय स्वाहा
ॐ सिद्धेश्वरी माताय स्वाहा
ॐ सिद्ध विष्णु देवाय स्वाहा
ॐ सिद्ध महालक्ष्मी माताय स्वाहा
ॐ सिद्ध दत्तात्रेयाय स्वाहा
ॐ सिद्ध गोरक्षनाथाय स्वाहा
ॐ सिद्ध स्वामी हरदासाय स्वाहा
ॐ सिद्ध गुरुदेवाय स्वाहा
ॐ सिद्ध कुलदेवताय स्वाहा
ॐ सिद्ध ग्राम देवताय स्वाहा
ॐ सिद्ध वास्तु देवताय स्वाहा
ॐ सिद्धाय स्वाहा
ॐ नमो सिद्धाय सर्व अरिष्ट निवारनाय
सर्व कार्य सिद्ध कराय ॐ सिद्धाय स्वाहा
ॐ नमो सिद्धाय सर्व समर्थाय
संसार सर्व दुःख क्षय कराय
सत्व गुण आत्मबल दायकाय, मनो वांछित फल प्रदायकाय
ॐ सिद्ध सिद्धेश्वराय स्वाहा
कुंजिका स्तोत्र और उसका मंत्र
इसके बाद अग्नि की पूजा करे, गंध अक्षत पुष्प दीप और नैवेद्य
और आखरी आहुति डाले
ॐ सप्त ते अग्ने समिधः सप्त जिव्हा सप्त ऋषय सप्त धाम प्रियाणी
सप्त होत्रा सप्तधा त्वा यजन्ति सप्त योनिरा पृणस्व घृतेन स्वाहा।
हाथ जोड़कर हवन कर्म गुरुदेव के चरणों में अर्पित करे
अनेन नित्य होम कर्मणा श्री परमेश्वर प्रियताम न मम।
इसके बाद आरती करे।
गणेश जी की आरती
देवी की आरती
गुरुदेव की आरती
ज्योत से ज्योत जगाओ....
ज्योत से ज्योत जगाओ सदगुरु !
ज्योत से ज्योत जगाओ।।
मेरा अन्तर तिमिर मिटाओ सदगुरु !
ज्योत से ज्योत जगाओ।।
हे योगेश्वर ! हे परमेश्वर !
हे ज्ञानेश्वर ! हे सर्वेश्वर !
निज कृपा बरसावो सदगुरु ! ज्योत से.....
हम बाऱक तेरे द्वार पे आये,
मंगऱ दरस दिखाओ सदगुरु ! ज्योत से....
शीश झुकाय करें तेरी आरती,
प्रेम सुधा बरसाओ सदगुरु ! ज्योत से....
साची ज्योत जगे जो हृदय में
सोऽहं नाद जगाओ सदगुरु ! ज्योत से....
अन्तर में युग युग से सोई,
चित शक्ति को जगाओ सदगुरु ! ज्योत से....
जीवन में श्रीराम अविनाशी,
चरणन शरण लगाओ सदगुरु ! ज्योत से...
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