गुरुवार, 20 फ़रवरी 2025

रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने

रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, वही ये सृष्टि चला रहे है, जो पेड़ हमने लगाया पहले, उसी का फल हम अब पा रहे है, रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, वही ये सृष्टि चला रहे है ॥ इसी धरा से शरीर पाए, इसी धरा में फिर सब समाए, है सत्य नियम यही धरा का, है सत्य नियम यही धरा का, एक आ रहे है एक जा रहे है, रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, वही ये सृष्टि चला रहे है ॥ जिन्होने भेजा जगत में जाना, तय कर दिया लौट के फिर से आना, जो भेजने वाले है यहाँ पे, जो भेजने वाले है यहाँ पे, वही तो वापस बुला रहे है, रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, वही ये सृष्टि चला रहे है ॥ बैठे है जो धान की बालियो में, समाए मेहंदी की लालियो में, हर डाल हर पत्ते में समाकर, हर डाल हर पत्ते में समाकर, गुल रंग बिरंगे खिला रहे है, रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, वही ये सृष्टि चला रहे है ॥ रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, वही ये सृष्टि चला रहे है, जो पेड़ हमने लगाया पहले, उसी का फल हम अब पा रहे है, रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने, वही ये सृष्टि चला रहे है ॥

दिल खो गया श्री वुन्दावन में

दिल खो गया दिल खो गया दिल खो गया दिल खो गया दिल खो गया 
बांके बिहारी श्री वृन्दावन में हाय मेरा दिल खो गया

होता नित रास यहाँ संतो का वास यहाँ 
सदा भाव और भक्ति का अहसास यहाँ 
दिल खो गया बांके बिहारी श्री वृन्दावन में 
हाय मेरा दिल खो गया ।।१।। 

यहाँ यमुना किनारा है श्री निधिवन प्यारा है 
कण कण में बिहारी जी, यहाँ तेरा नजारा है 
दिल खो गया बांके बिहारी श्री वृन्दावन में 
हाय मेरा दिल खो गया ।। २।। 

देखा जबसे तुमको मैं हो गया दीवाना 
नहीं होश रहा कोई हुआ खुद से बेगाना 
दिल खो गया बांके बिहारी श्री वृन्दावन में 
हाय मेरा दिल खो गया ।।३।। 

कहे निखिल सौरभ प्यारे कभी दिल से ना बिसराना
निखिल बस तेरा है हर जनम में अपना लेना 
दिल खो गया बांके बिहारी श्री वृन्दावन में 
हाय मेरा दिल खो गया ।।४ ।।