प्रश्न - महाराज रामयनामध्ये रावणाचा दोनदा मृत्यू झाला आहे एकदा ते सहा वर्षाचे असताना रामाने त्यांचा वध केला होता बरोबर आहे का महाराज हे?
जनार्दन नाजगड़, अंदरसुल
[1/2, 1:13 PM] वैष्णव.महाराज: राम जन्म झाला तेव्हा रावनाला नातवंड होती
[1/2, 1:15 PM] वैष्णव.महाराज: वाली मात्र रावनाच्या बरोबरी चा होता
[1/2, 2:41 PM] वैष्णव.महाराज: रावण जब 6 साल का था तो राम उसको कैसे मार सकता है ?
[1/2, 2:41 PM] वैष्णव.महाराज: श्री राम
जी की वंशावली का वर्णन!!
१ - ब्रह्माजी
२ - मरीचि
३ - कश्यप
४ - विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु हुए
[1/2, 2:42 PM] वैष्णव.महाराज: ५ - वैवस्वतमनु के दस पुत्र हुये उनमे में से एक का नाम इक्ष्वाकु था। इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की।
[1/2, 2:43 PM] वैष्णव.महाराज: ६ - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए।
७ - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था।
८ - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए।
९ - बाण के पुत्र अनरण्य हुए।
१०- अनरण्य से पृथु हुए
११- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ।
१२- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए।
१३- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था।
१४- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए।
१५- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ।
१६- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित।
१७- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए।
१८- भरत के पुत्र असित हुए।
१९- असित के पुत्र सगर हुए।
२०- सगर के पुत्र का नाम असमंज था।
२१- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए।
२२- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए।
२३- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए। भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था !
२४- भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे।
२४- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए।
[1/2, 2:44 PM] वैष्णव.महाराज: रघु वंश
की स्थापना !!
रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के
कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया,तब
से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है।
२५- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए।
२६- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे।
२७- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए।
२८- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था।
२९- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए।
३०- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए।
३१- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे।
३२- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए।
३३- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था।
३४- नहुष के पुत्र ययाति हुए।
३५- ययाति के पुत्र नाभाग हुए।
३६- नाभाग के पुत्र का नाम अज था।
३७- अज के पुत्र दशरथ हुए।
३८- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए।
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ !!
: अब सोचो
राम जन्म से 29 पीढियां पहले उनके पूर्वज अनरण्य थे
*राजा अनरण्य का रावण को शाप*
अनेक राजा महाराजाओं को पराजित करता हुआ दशग्रीव रावण इक्ष्वाकु वंश के राजा अनरण्य के पास पहुँचा जो अयोध्या पर राज्य करते थे। उसने उन्हें भी द्वन्द युद्ध करने अथवा पराजय स्वीकार करने के लिये ललकारा। दोनों में भीषण युद्ध हुआ किन्तु ब्रह्माजी के वरदान के कारण रावण उनसे पराजित न हो सका। जब अनरण्य का शरीर बुरी तरह से क्षत-विक्षत हो गया तो रावण इक्ष्वाकु वंश का अपमान और उपहास करने लगा। इससे कुपित होकर अनरण्य ने उसे शाप दिया कि तूने अपने व्यंगपूर्ण शब्दों से इक्ष्वाकु वंश का अपमान किया है, इसलिये मैं तुझे शाप देता हूँ कि महात्मा इक्ष्वाकु के इसी वंश में दशरथ-नन्दन राम का जन्म होगा जो तेरा वध करेंगे। यह कह कर राजा स्वर्ग सिधार गये।
: अब बोलो जनार्दन भाई,
रावण जब 6 साल का था तो राम उसको कैसे मार सकता है ?
एक अनरण्य द्वितीय भी हुए हैं जो अज के पिता थे
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